रामलला की प्राण प्रतिष्ठाबनेगे शुभ संयोग – 84 सेंकेण्ड के शुभ मुहुर्त
84 सेंकेण्ड के शुभ मुहुर्त में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठाबनेगे शुभ संयोग, महत्वपूर्ण योग

लग्न 25॰38’06’’ गुरू 12॰12’53’’
सूर्य 07॰32’59’’ शुक्र 04॰29’38’’
चन्द्र 27॰55’33’’ शनि 11॰10’01’’
मंगल 19॰05’01’’ राहु 25॰33’08’’
बुध 15॰46’58’’ केतु 25॰33’08’’
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामजन्म भूमि परिसर में बने भव्य मन्दिर में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी। प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का समय 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 08 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक कुल 84 सेकेंड का निर्धारित किया गया है, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा को पूर्ण किया जायेगा। 22 जनवरी 2024 सोमवार को अनला सवंत्सर विक्रम संवत 2080, शक संवत 1945, दिन सोमवार पोष माह, शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस दिवस प्रातःकाल ब्रहमयोग 8.46 मिनट तक, तत्पश्चात इन्द्र योग रहेगा। वस्तुतः मुहुर्त दो घटी अर्थात 48 मिनट का होता है। मुहुर्त वह विशेष समय है, जो किसी विशेष क्षण अथवा समय में ग्रहो की स्थिति, लग्न, तिथि, वार, योग, नक्षत्र से बनने वाला शुभ, अशुभ स्थिति को दर्शाता है। 22 जनवरी 2024 दिन सोमवार को मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। इस संयोग से अमृृतसिद्धि योग, सर्वाथसिद्धि योग, रवि योग का शुभ मुहुर्त बनेगा। सर्वाथसिद्धि योग 22 जनवरी को प्रातःकाल 7.14 से 23 जनवरी प्रातःकाल तक रहेगा। अमृतसिद्धि योग भी प्रातःकाल 7.14 से प्रारम्भ होगर 23 जनवरी तक रहेगा। इस शुभ दिवस को कूर्म द्वादशी की तिथि का संयोग रहेगा। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार भगवान विष्णु ने इस दिन कच्छप (कछुआ) अवतार लिया था। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम की अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा अत्यन्त महत्वपूर्ण शुभ संयोग है। कूर्म द्वादशी पोष माह की शुक्ल द्वादशी को मनायी जाती है। यदि हम प्राणप्रतिष्ठा के विशेष क्षणों की कुण्डली बनाये, जो निम्न प्रकार बनेगी।
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha – Rajeev ‘Acharya’
इस विशेष समय में वार सोमवार, मेष लग्न, वृृष राशि, मृगशीर्षा नक्षत्र का दूसरा चरण, इन्द्र योग, बालव करण का शुभ संयोग बनेगा। सोमवार चर-चल बालव करण चल तथा मेष लग्न भी अग्नि तत्व के साथ पूर्व दिशा का स्वामी होते हुए चर लग्न रहेगा, जो कि निरन्तर विकास का द्योतक है।
मृगशीर्षा नक्षत्र एक मृदु नक्षत्र है। जिसमें धु्रव स्थिर नक्षत्रों में किये जाने वाले कार्य भी शामिल है। इस नक्षत्र में नीव रखना, निर्माण करना, कृषि सम्बधी कार्य, ललित कलाओं को करना आदि को शुभ माना गया है। इस समय में किये जाने वाले कार्यों से सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए उत्तम सिद्ध होगा और सर्वांगीण विकास करेगा।
इस विशेष समय में लग्न में गुरूदेव बृहस्पति अपनी मित्र राशि मेषराशि में भाग्येश होकर विराजित रहेंगे। बृहस्पति की दृष्टि पंचम, सप्तम एवं भाग्यभाव पर रहेगी तथा कर्म और लाभ भाव के स्वामी शनि से पूर्ण रूप से दृष्ट रहेगे। जिसके कारण श्रद्धा भाव, दान, धर्म, आस्था, प्रतिष्ठा, ख्याति में वृद्धि होगी।
सूर्यदेव पंचम त्रिकोण के स्वामी होकर कर्मभाव में मकर राशि में विराजमान रहेगे। सूर्य की दृष्टि चैथे घर अर्थात मातृभाव पर रहेगी, सूर्य की यह स्थिति प्रसिद्धी, ख्याति, नेतृत्व की अद्धभुद क्षमता का विकास करेगी। सूर्य की इस स्थिति से सुख समृद्धि के अवसर बनेगे।
चन्द्रदेव मातृ भाव के स्वामी होकर वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे, जो कि चन्द्र की उच्च राशि है। चन्द्र की इस स्थिति से रोजगार परक योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा। आय के विभिन्न प्रकार के साधन उत्पन्न होगे, शिक्षा व्यवसाय इत्यादी में वृद्धि होगी। निश्चित रूप से रामलला के भव्य मन्दिर के साथ ही अयोध्या का सर्वांगीण विकास होगा। जिसमें पर्यटन एवं पर्यटन से जुडे हुए उद्योगों के साथ-साथ एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों का विकास भी सम्मिलित है तथा धार्मिक रीति रिवाज के साथ जुडे हुए व्यवसायों में भी वृद्धि होगी।
बुध बृहस्पति की राशि धनुराशि में स्थित रहेंगे, जो बुध की सम राशि है। बुध तीसरे एवं छटवे भाव के स्वामी होकर भाग्य भाव अर्थात धर्मभाव में स्थित होगे तथा गुरूदेव बृहस्पति से दृष्ट होगे। बुध की यह स्थिति आध्यात्म, दान, पुण्य, यज्ञ, तीर्थ यात्रा जैसे धार्मिक कार्यों को बढावा देगी। शुक्र दुसरे और सातवे भाव के स्वामी होकर धर्मभाव में विराजमान होगे तथा गुरूदेव बृहस्पति से दृष्ट होगे, जिसके कारण परोपकारिता जप-तप विभिन्न कलाओं जैसे गायन, वादन, लेखन, काव्य को बढावा मिलेगा।
मंगल लग्न और अष्टम के स्वामी होकर भाग्यभाव में विराजमान रहेगे तथा अपनी मित्र राशि में रहेगे उनपर भी गुरूदेव बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि होने से पराक्रम में वृद्धि होगी। बुध, शुक्र तथा मंगल तीनों ग्रहों के एकसाथ धर्म त्रिकोण में बैठने के कारण आध्यामिक उन्नति दानपुण्य, यज्ञ, तीर्थ यात्रा, धार्मिक आस्था को बढ़ावा मिलेगा।
शनिदेव अपनी स्वराशि कुम्भराशि में कर्म और लाभभाव के स्वामी होकर उसी भाव में स्थित रहेंगे तथा लग्न, पंचम और अष्ठम पर दृष्टि डालेगे। जिसके कारण दयालुता, परोपकारिता, स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न प्रकार के रोगो से मुक्ति मिलेगी। राहु मोक्ष भाव में स्थित होकर पराक्रम प्रसिद्धी को बढ़ावा देगे और केतु की स्थिति अध्यात्म की वृद्धि करते हुए स्वस्थ्य जीवन का संकेत करती है।
इस शुभ घड़ी में बुध की होरा और अभिजीत मुहुर्त रहेगा, जो सब प्रकार से शुभ संयोग है। ग्रहों के संयोग से अनफा योग, पराशरी राज योग, उभयचरी योग, सरस्वती योग, वेशी योग आदि अनेक योग बन रहे है, जो विकास, अध्यात्म, प्रसिद्धी, लोकप्रियता के सूचक है। 22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर में मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही ग्रहों, नक्षत्रों के शुभ संयोग से अयोध्या के साथ-साथ देश एवं देशवासियों की भी प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति होगी।
राजीव ’आचार्य’
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री
ईमेल: acharyarajeev08@gmail.com
मोबाइल नं. 8081278775
More Stories
Shakespeare’s Birth Anniversary Celebrated at Dravidian University in Kuppam
Dravidian University signs an MoU with Government First Grade College in Bangaru Tirupathi, Karnataka, to enhance academic cooperation and promote...
Grandmother Finishes Late Granddaughter’s Novel, Fulfilling Her Final Dream
Lorraine Martin describes her granddaughter Allana Raine King as a bright, joyful soul — someone whose smile could light up...
Literature festival is coming back for 32nd year in a row
Swindon’s much-loved Literature Festival is returning for its 32nd consecutive year. Known as the Swindon Festival of Literature, this celebrated...
‘‘Paperbacks & Pour Overs’’ a café based reading initiative to launch by Third Wave Coffee & HarperCollins.
To celebrate World Book Day, Third Wave Coffee, a well-known Indian café chain, has partnered with HarperCollins India to introduce...
Devangana Dash from Delhi wins the 10th Oxford Bookstore Book Cover Prize
Devangana Dash, a talented book designer, art director, and educator, has won the 10th Oxford Bookstore Book Cover Prize for...
When the Nobel Winners was at Loggerheads: The Mario Vargas Llosa and Gabriel García Márquez Feud
The passing of Mario Vargas Llosa at 89 in Lima, Peru, marks the end of an era for Latin America's...