साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित पुस्तकायन पुस्तक मेले का भव्य शुभारंभ

साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले का आज भव्य शुभारंभ प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक, संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी, राज्यसभा सांसद सत्यनारायण जटिया भी उपस्थित थे। उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए नासिरा शर्मा ने कहा कि इस तरह के पुस्तक मेलों के आयोजनों से ही हम बच्चों और युवाओं को ज़रूरी संस्कार दे सकते हैं। ‘बाल साहित्य’ की थीम पर केंद्रित इस पुस्तक मेले के लिए साहित्य अकादमी को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि मैं ख़ुद को बाल लेखिका ही मानती हूँ और बच्चों के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैंने अपना लेखन बाल लेखन से ही शुरू किया था। आगे उन्होंने कहा कि मैं बच्चों से एक बात जरूर कहना चाहूँगी कि आप अपनी पढ़ाई में कितने भी व्यस्त हो लेकिन अपने आस-पास के परिवेश, प्रकृति और पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने बच्चों को अपने मोबाइल फोन और इंटरनेट को कम समय देकर अपने गाँव और देश को समझने की अधिक कोशिश करने पर बल दिया।

राज्यसभा सांसद सत्यनारायण जटिया ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव अपने आप में विशिष्ट इसलिए है कि स्वतंत्रता स्वयं में एक महत्त्वपूर्ण जीवन मूल्य है। उन्होंने बच्चों को पिछले इतिहास और क्रांतिकारियों से सीखने की अपील करते हुए कहा कि बच्चे ही इस राष्ट्र की नींव को और मजबूत करेंगे। उन्होंने अपनी स्वरचित बाल कविता भी प्रस्तुत की। संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव उमा नंदूरी ने कहा कि पूरे देश में हर 15 मिनट के अंतराल में आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक कार्यक्रम हो रहा है और यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित यह कहीं न कहीं देश में एक सांस्कृतिक बदलाव लाने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे अपना समय बचाकर अपने माता-पिता से संवाद करें और उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की कि वे भी अपने बच्चों से संवाद करें क्योंकि यही स्वस्थ विकास का आधार है। साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि आज़ादी को हमतक पहुँचाने में लेखकों का बड़ा हाथ है, क्योंकि उनके लेखन को पढ़कर ही क्रांतिकारियों में जोश आया और उन्होंने आज़ादी की लड़ाई को घर-घर तक पहुँचा दिया था। इसलिए एक मायने में लेखक केवल लेखक नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानी भी हैं। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि इस ‘पुस्तकायन’ मेले के माध्यम से हम अधिक से अधिक पाठकों को इससे जोड़ना चाहते हैं, जिससे पुस्तक संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके।

‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले में ‘बाल साहित्य: कल आज और कल’ विषय पर प्रख्यात बाल साहित्यकारों मधु पंत, देवेंद्र मेवाड़ी और रईस सिद्दीकी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इन सबका कहना था कि बच्चों को स्वाभाविक रूप से अपनी गतिविधियाँ जारी रखने की अनुमति मिलनी चाहिए। बच्चों की इच्छाओं का दमन करना या उनपर अपनी मानसिकता लादने से उनकी कल्पनाशीलता और जिज्ञासा कुंद हो जाती है। ‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रख्यात बाल साहित्यकार बालस्वरूप राही ने कहा कि ‘कविता में क्या कहा गया से अधिक महत्त्वपूर्ण, क्या छोड़ा गया होता है।’ इससे पाठक की कल्पना शक्ति में विस्तार होता है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए और अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। आज़ादी के रंग बाल कलाकारों के संग शीर्षक से सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुई जिनमें बाल कलाकारों ने ओड़िसी (शुभाश्री प्रधान), भरतनाट्यम् (कीवी कच्छावा) और कत्थक (राजुल आफारिया) नृत्य प्रस्तुत किया।

ज्ञात हो कि साहित्य अकादेमी द्वारा पहली बार कई प्रकाशकों को शामिल करते हुए आयोजित हुए इस मेले में तीस से ज्यादा प्रकाशक भाग ले रहे हैं। यह पुस्तक मेला 18 नवंबर 2022 तक चलेगा।

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