
कोई कहता है बेटी महान
कोई कहता है बेटी अपमान
क्या है, बेटी की पहचान |
दुनिया चली दिलाने मान
मान तो मिलता पर…
खोनी पड़ती असली पहचान |
कभी बेटी, कभी बहन
कभी पत्नी, कभी माँ
कहाँ है उसकी असली पहचान |
जीती जीवन अपना बनकर
दुसरो की पहचान |
चला समाज नेताओं के साथ
चले मनाने बेटी को महान
दिलाने उसको नयी पहचान |
नारे लगाते ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं’
कोई ना जाने उसके सपने
कोई ना जाने उसकी उड़ान
क्या कोई जानता उसकी असली पहचान |
ना बोलो भारत माता की विवाद खड़ा हो जाता हैं
क्या कोई तब माता का असली मतलब समझाता हैं |
ऐसा मिला सम्मान, ऐसी मिली पहचान |
– सोनिया सुधीर सन्धु
काठ कलन, हरियाणा, इंडिया
MithK
July 17, 2020 at 6:37 am
Bahut Achi Kavita hai aapki soniya ji I loved it
chetna.arya94@gmail.com
July 17, 2020 at 6:37 am
Beautiful poem.
Sonia
July 17, 2020 at 6:42 am
Soniasudhir23298@gmail.com
Sonia
July 17, 2020 at 8:13 am
A step for writing